कछुआ और खरगोश
एक बार की बात है कि एक जंगल में एक कछुए
और एक खरगोश में रेस हो गयी | अभी दौड़ते-
दौड़ते थोड़ा ही समय गुज़रा था कि खरगोश ने
पीछे मुड़कर देखा कि कछुआ काफी पीछे रह
गया है | उसने सोचा कि कछुए की चाल तो
बहुत ही धीमी है इसलिए मैं थोड़ी देर विश्राम
कर लेता हूँ |अब वह एक पेड़ की ठंडी छाँव में
ऐसा सोया कि कछुआ, धीमी चाल होने के
बावजूद भी, उससे आगे निकल कर अपने गन्तव्य
तक पहुँच कर रेस जीत गया |मित्रों, इस कहानी
के आधार पर ही यह कहावत मशहूर हो गयी
जिसे लोग अक्सर दोहराया करते हैं कि—
“SLOW AND STEADY WINS THE RACE.”
और एक खरगोश में रेस हो गयी | अभी दौड़ते-
दौड़ते थोड़ा ही समय गुज़रा था कि खरगोश ने
पीछे मुड़कर देखा कि कछुआ काफी पीछे रह
गया है | उसने सोचा कि कछुए की चाल तो
बहुत ही धीमी है इसलिए मैं थोड़ी देर विश्राम
कर लेता हूँ |अब वह एक पेड़ की ठंडी छाँव में
ऐसा सोया कि कछुआ, धीमी चाल होने के
बावजूद भी, उससे आगे निकल कर अपने गन्तव्य
तक पहुँच कर रेस जीत गया |मित्रों, इस कहानी
के आधार पर ही यह कहावत मशहूर हो गयी
जिसे लोग अक्सर दोहराया करते हैं कि—
“SLOW AND STEADY WINS THE RACE.”
बन्दर और मगरमच्छ
एक नदी के किनारे एक जामुन के पेड़ पर एक
बन्दर रहता था जिसकी मित्रता उस नदी में
रहने वाले मगरमच्छ के साथ हो गयी |वह बन्दर
उस मगरमच्छ को भी खाने के लिए जामुन देता
रहता था |एकदिन उस मगरमच्छ ने कुछ जामुन
अपनी पत्नी को भी खिलाये | स्वादिष्ट
जामुन खाने के बाद उसने यह सोचकर कि
रोज़ाना ऐसे मीठे फल खाने वाले का दिल भी
खूब मीठा होगा ;अपने पति से उस बन्दर का
दिल लाने की ज़िद्द की | पत्नी के हाथों
मजबूर हुए मगरमच्छ ने भी एक चाल चली और
बन्दर से कहा कि उसकी भाभी उसे मिलना
चाहती है इसलिए वह उसकी पीठ पर बैठ जाये
ताकि सुरक्षित उसके घर पहुँच जाए |बन्दर भी
अपने मित्र की बात का भरोसा कर, पेड़ से
नदी में कूदा और उसकी पीठ पर सवार हो गया
|जब वे नदी के बीचों-बीच पहुंचे ; मगरमच्छ ने
सोचा कि अब बन्दर को सही बात बताने में
कोई हानि नहीं और उसने भेद खोल दिया कि
उसकी पत्नी उसका दिल खाना चाहती है |
बन्दर को धक्का तो लगा लेकिन उसने अपना
धैर्य नहीं खोया और तपाक से बोला –‘ ओह,
तुमने, यह बात मुझे पहले क्यों नहीं बताई
क्योंकि मैंने तो अपना दिल जामुन के पेड़ की
खोखल में सम्भाल कर रखा है |अब जल्दी से मुझे
वापिस नदी के किनारे ले चलो ताकि मैं
अपना दिल लाकर अपनी भाभी को उपहार में
देकर; उसे खुश कर सकूं |’ मूर्ख मगरमच्छ बन्दर को
जैसे ही नदी-किनारे ले कर आया ;बन्दर ने ज़ोर
से जामुन के पेड़ पर छलांग लगाई और क्रोध में
भरकर बोला –“अरे मूर्ख ,दिल के बिना भी
क्या कोई ज़िन्दा रह सकता है ? जा, आज से
तेरी-मेरी दोस्ती समाप्त |”
मित्रो ,बचपन में पढ़ी यह कहानी आज भी
मुसीबत के क्षणों में धैर्य रखने की प्रेरणा देती है
ताकि हम कठिन समय का डट कर मुकाबला कर
सकें | दूसरे, मित्रता का सदैव सम्मान करें |
बन्दर रहता था जिसकी मित्रता उस नदी में
रहने वाले मगरमच्छ के साथ हो गयी |वह बन्दर
उस मगरमच्छ को भी खाने के लिए जामुन देता
रहता था |एकदिन उस मगरमच्छ ने कुछ जामुन
अपनी पत्नी को भी खिलाये | स्वादिष्ट
जामुन खाने के बाद उसने यह सोचकर कि
रोज़ाना ऐसे मीठे फल खाने वाले का दिल भी
खूब मीठा होगा ;अपने पति से उस बन्दर का
दिल लाने की ज़िद्द की | पत्नी के हाथों
मजबूर हुए मगरमच्छ ने भी एक चाल चली और
बन्दर से कहा कि उसकी भाभी उसे मिलना
चाहती है इसलिए वह उसकी पीठ पर बैठ जाये
ताकि सुरक्षित उसके घर पहुँच जाए |बन्दर भी
अपने मित्र की बात का भरोसा कर, पेड़ से
नदी में कूदा और उसकी पीठ पर सवार हो गया
|जब वे नदी के बीचों-बीच पहुंचे ; मगरमच्छ ने
सोचा कि अब बन्दर को सही बात बताने में
कोई हानि नहीं और उसने भेद खोल दिया कि
उसकी पत्नी उसका दिल खाना चाहती है |
बन्दर को धक्का तो लगा लेकिन उसने अपना
धैर्य नहीं खोया और तपाक से बोला –‘ ओह,
तुमने, यह बात मुझे पहले क्यों नहीं बताई
क्योंकि मैंने तो अपना दिल जामुन के पेड़ की
खोखल में सम्भाल कर रखा है |अब जल्दी से मुझे
वापिस नदी के किनारे ले चलो ताकि मैं
अपना दिल लाकर अपनी भाभी को उपहार में
देकर; उसे खुश कर सकूं |’ मूर्ख मगरमच्छ बन्दर को
जैसे ही नदी-किनारे ले कर आया ;बन्दर ने ज़ोर
से जामुन के पेड़ पर छलांग लगाई और क्रोध में
भरकर बोला –“अरे मूर्ख ,दिल के बिना भी
क्या कोई ज़िन्दा रह सकता है ? जा, आज से
तेरी-मेरी दोस्ती समाप्त |”
मित्रो ,बचपन में पढ़ी यह कहानी आज भी
मुसीबत के क्षणों में धैर्य रखने की प्रेरणा देती है
ताकि हम कठिन समय का डट कर मुकाबला कर
सकें | दूसरे, मित्रता का सदैव सम्मान करें |
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